सरकार ने उपभोक्ता आयोगों का अधिकार क्षेत्र बढ़ाया, अब 2 करोड़ रुपये से अधिक के मामलों में सुनवाई करेगी NCDRC
Consumer Commissions new rules: सरकार ने गुरुवार को उपभोक्ता आयोगों के अधिकार क्षेत्र में विस्तार किया है, जिससे राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग अब 2 करोड़ रुपये तक के मामलों में पर भी विचार करेगा.
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Consumer Commissions new rules: सरकार ने गुरुवार को राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (National Consumer Disputes Redressal Commission-NCDRC) का अधिकार क्षेत्र बढ़ा दिया है. सरकार ने कहा है कि अब आयोग के पास उन उपभोक्ताओं की शिकायतों पर विचार करने का अधिकार होगा, जहां वस्तुओ या सेवाओं का मूल्य 2 करोड़ रुपये से अधिक हो. पहले आयोग 10 करोड़ रुपये से अधिक के मामलों पर ही विचार करती थी.
केंद्र सरकार ने जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर के आयोगों में उपभोक्ता शिकायतों को लेने के लिए आर्थिक सीमा को संशोधित करते हुए नए नियमों का नोटिफिकेशन जारी किया है. सरकार ने कहा कि इसका उद्देश्य उपभोक्ताओं की शिकायतों का तेजी से निपटान करना है.
राज्य और जिला आयोग के अधिकार क्षेत्र भी बदले
एक आधिकारिक बयान के अनुसार, नए नियमों में जिला आयोगों (district commissions) के पास 50 लाख रुपये मूल्य की वस्तुओं या सेवाओं की शिकायतों पर विचार करने का अधिकार होगा, जबकि पहले की सीमा 1 करोड़ रुपये तक थी. वहीं राज्य आयोगों (State commissions) के पास अब 50 लाख रुपये से अधिक और 2 करोड़ रुपये तक के क्षेत्राधिकार होंगे. इसके पहले राज्य आयोग लिए सीमा 1 करोड़ रुपये से ज्यादा और 10 करोड़ रुपये तक थी.
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नोटिफिकेशन में कहा गया है कि राष्ट्रीय आयोग के पास उन शिकायतों पर विचार करने का अधिकार होगा, जहां भुगतान किए गए सामान या सेवाओं का मूल्य 2 करोड़ रुपये से अधिक है. इसके लिए केंद्र ने उपभोक्ता संरक्षण (जिला आयोग, राज्य आयोग और राष्ट्रीय आयोग के क्षेत्राधिकार) नियम, 2021 के लिए नियम अधिसूचित किए हैं.
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत बने हैं नियम
यह नए नियम उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 (Consumer Protection Act, 2019) के तहत नए नियम बनाए गए हैं, जहां कन्ज्यूमर्स को अपनी शिकायतों के समाधान के लिए एक त्री-स्तरीय अर्ध-न्यायिक तंत्र मिलता है. जैसे- जिला आयोग, राज्य आयोग और राष्ट्रीय आयोग.
मौजूदा नियमों से बढ़ा था कार्यभार
बयान में कहा गया है कि इस अधिनियम के लागू होने के बाद उपभोक्ता आयोगों के आर्थिक अधिकार क्षेत्राधिकार से संबंधित मौजूदा प्रावधान ऐसे मामलों की ओर ले जा रहे थे, जिसमें वह मामले जो पहले राष्ट्रीय आयोग में दायर किए जाते थें, राज्य आयोग के पास जा रहे थे और राज्य आयोग के मामले जिला आयोगों के पास.
इससे जिला आयोग के कार्यभार में काफी वृद्धि हो गई और लंबित मामलों के बढ़ने से मौजूदा मामलों को निपटाने में भी देरी होने लगी. जिससे उपभोक्ताओं को तुरंत समाधान मिलने के अधिनियम के उद्देश्य को विफल कर दिया. उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 में यह प्रावधान है कि प्रत्येक शिकायत का यथाशीघ्र निपटान किया जाएगा.
10:09 PM IST